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Thursday, 5 May 2016

जिंदा होने की आस: 3 दिन तक मंदिर में बेटे का शव गोद में लिए बैठी रही मां

मंदसौर में मंदिर के बाहर गोद में बेटे का शव लेकर बैठने वाली मां।

मंदसौर/इंदौर. अंधविश्वास के चलते एक महिला दो महीने के मृत बच्चे को कपड़े में लपेटे तीन दिन पशुपतिनाथ मंदिर के हॉल में बैठी रही। उसके बूढ़े माता-पिता भी साथ थे। बुधवार को किसी श्रद्धालु ने पुलिस को इसकी जानकारी दी तो मामले का खुलासा हुआ। पूछताछ में मां ने बताया कि वे बच्चे के फिर से जीने की आस लेकर वे यहां आए थे। कहां का है मामला, कैसे हुई बच्चे की मौत

- मामला मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर का है। बच्चे की मौत कैसे हुई, उसके पिता कहां हैं इस बात का अभी खुलास नहीं हो पाया था।
- पुलिस के अनुसार, महू के 67 वर्षीय नेमीचंद्र अग्रवाल पत्नी शारदा व 30 वर्षीय बेटी ज्योति के साथ मंदिर में बैठे थे।
- ज्योति की गोद में पूरी तरह ढंका बच्चा देखकर जवान ने बच्चे के मुंह से कपड़ा हटाने को कहा।
- जैसे ही ज्योति ने कपड़ा हटाया तो दुर्गंध फैल गई। इसके बाद पुलिस तीनों को थाने ले गई।
 
किसी ने मंदिर जाने की सलाह दी थी
- ज्योति और उसकी मां ने पुलिस को बताया हमें किसी ने बताया था कि भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर जाओ ताे बीमार बच्चे के प्राण वापस आ जाएंगे।
- इसलिए यहां सोमवार सुबह आए थे। ज्योति का कहना है उसकी ससुराल वालों से बनती नहीं है इसलिए पति के साथ किराये के मकान में रहती हूं। अभी मायके में रह रही थी।
- उसकी मां शारदा का कहना था कि बेटी का दु:ख नहीं देख सके इसलिए उसके साथ घूम रहे थे।
- पूछताछ के दौरान पुलिस ने बच्चे के पिता की भी जानकारी ली। बच्चे का पिता राजा अग्रवाल महू में ही मजदूरी करता है।
- टीआई परिहार ने परिजन से ही नंबर लेकर उसे फोन लगाया तो उसका मोबाइल बंद मिला।
यह कहानी भी आई सामने

- ज्योति व उसकी मां ने पुलिस को बताया हम बच्चे को लेकर 20 अप्रैल को महू से निकले थे।
-पहले सांवरियाजी गए थे। वहां किसी ने बताया सिंहस्थ चल रहा है।
- भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर जाओ ताे बच्चे के प्राण वापस आ जाएंगे इसलिए यहां साेमवार सुबह आए थे। तीन डॉक्टरों के पैनल ने बच्चे के शव का पोस्टमाॅर्टम किया।
- उनके अनुसार 36 से 72 घंटे पहले बच्चे की मौत हुई थी। उधर, ज्योति के मुताबिक बच्चे की मौत 19 अप्रैल को हो गई थी।

एसपी बोले, पहली बार आया ऐसा मामला
- उधर, एसपी मनोज शर्मा ने बताया ऐसा मामला उनके सामने पहली ही बार आया है।
- यह निश्चित रूप से अंधविश्वास का ही एग्जाम्पल है। मर्ग कायम किया है। शव को फैमिली के साथ महू भेजा गया है।
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