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Wednesday, 27 April 2016

ये हैं एमबीए पास 29 साल के श्रेय, 15 दिन में बने किसान और किया कमाल

एमबीए पास कर किसान बने श्रेय हूमड़।  

खंडवा/इंदाैर। एमबीए के बाद इस युवा की व्यवसायी बनने की ख्वाहिश थी। लेकिन पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने के बाद उसे लगा कि हर सेक्टर में मंदी है, लेकिन कृषि में नहीं। इसी सोच ने उसे तमिलनाडु पहुंचा दिया। यहां टैरेस गार्डन और पॉली हाउस में फसलों का उत्पादन लेना सीखा। 15 दिन बाद खंडवा लौटा और सिहाड़ा रोड पर आधे एकड़ में पॉली हाउस और आधे में नेट हाउस खोल दिया। ये कहानी है 29 साल के युवक किसान श्रेय हूमड़ की। श्रेय ने पहले ही प्रयास में 14 टन ककड़ी का उत्पादन किया है। पढ़ें, श्रेय की सक्सेस स्टोरी...

- श्रेय ने बताया कि 2010-11 में इंदौर से एमबीए करने के बाद खंडवा में पिता का बिजनेस संभाला।
- इस दौरान देखा कि ऑटोमोबाइल से लेकर अन्य सेक्टरों में मंदी का दौर आया। लेकिन कृषि में आज तक कभी ऐसा नहीं आया।
- मैंने केलकुलेशन किया कि आने वाले दौर में फूड में अच्छा स्कोप है। मैं तमिलनाडु के मदुराई व अन्य शहरों में गया।
- यहां टैरेस गार्डन और पॉली हाउस देखे। आइडिया अच्छा लगा। खंडवा लौटकर इसके बारे में तीन महीने तक रिसर्च किया।
- इसके बाद लीज पर एक एकड़ जमीन ली। शासन की योजना का लाभ लिया। आधे एकड़ में पॉली हाउस और आधे में नेट हाउस खोल दिया।
- पॉली हाउस से श्रेय ने 40 दिन में 14 टन ककड़ी का उत्पादन लिया। उन्होंने कहा मार्केट में दूसरों की ककड़ी 10 से 12 रुपए किलो थोक में बिकती है।
- हमारी 18 से 20 रुपए तक बिक जाती है। इसी तरह श्रेय ने टमाटर, मैथी, लौकी व धनिया सहित अन्य सब्जियां भी ली हैं। उन्हें इनके दाम भी अच्छे मिले।
- श्रेय ने बताया कि इसके बीज उन्होंने पुणे से मंगवाए हैं, इसमें अंदर बीज नहीं निकलते हैं। जब ये पकने के कगार पर आ जाती है जब बीज बनते हैं।
- श्रेय ने कहा मेरे परिवार में कोई भी किसान नहीं है। मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं किसान बनूंगा। लेकिन इस क्षेत्र में अच्छा स्कोप है।

पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन ज्यादा
श्रेय ने बताया कि परंपरागत खेती के मुकाबले पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन भी ज्यादा और उन्नत क्वालिटी का होता है। पॉली हाउस में जो भी सब्जियां लगाई जाती हैं, उसे किसान जितना भी खाद, पानी और ऑक्सीजन देगा, उतना ही फसलों को मिलेगा। इसमें बारिश का पानी भी अंदर नहीं जा सकता। नेट हाउस में भी प्रकाश और बारिश का पानी आधा अंदर आता है और आधा बाहर जाता है। यह गर्मी और ठंड में फसलों के लिए अच्छा होता है, जबकि पॉली हाउस सभी सीजन में फसलों के लिए फायदेमंद होता है।
व्यवसायी की तरह सोचना होगा किसानों को
सूखे और बेमौसम बारिश की मार झेल रहे किसान संकट के दौर से गुजर रहे हैं। कई किसान मौत को भी गले लगा चुके हैं। वहीं श्रेय का मानना है कि किसान इस संकट से बच सकता है। किसानों को व्यवसायी की दृष्टि से सोचना होगा। उसे एक बार में एक के बजाय तीन-चार फसलें लेना होगी। श्रेय कहते हैं वर्तमान में किसान जिस भी खाद्य वस्तु के दाम बढ़ते हैं, उसे बड़ी मात्रा में बो देते हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर उत्पादन ज्यादा होता है और मांग कम हो जाती है। दाम कम मिलते हैं फिर वह रोता है।
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