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Wednesday, 4 May 2016
PHOTOS में देखिए रोमानिया की टीनेजर्स, 15 साल की उम्र में बन रहीं मां
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15 साल की उम्र में मां बन रहीं रोमानिया की लड़कियां। |
बोतोस्नी (रोमानिया)। ''भगवान ने मुझे बहुत प्यारी सी बेटी दी है, लेकिन जिंदगी मुश्किलों भरी है क्योंकि मैं खुद अभी बच्ची हूं। अपना बच्चा कैसे पाल सकूंगी'' ये दर्द है रोमानिया की उन 2000 लड़कियों में से एक लॉरेना का, जो सिर्फ 15 साल की उम्र में मां बन गई। रोमानिया में अंडरएज प्रेग्नेंसी का रेट यूरोप में सबसे ज्यादा है। इतना ही नहीं, प्रेग्नेंसी के पूरे नौ महीने में मुश्किल से ही इन लड़कियों को किसी तरह की मेडिकल हेल्प मिल पाती है। अभी नहीं बनना चाहती थीं मां...
- 15 साल की लॉरेना अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ एक बिल्डिंग में रहती है। यहां सात और परिवार भी रहते हैं।
- लॉरेना के मुताबिक, ''मैं अभी प्रेग्नेंट होने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थीं।''
- ''मैं अभी मां बनने के लिए और इंतजार करना चाहती थी ताकि बच्चे की जिम्मेदारी उठा सकूं।''
- ''मैं अभी मां बनने के लिए और इंतजार करना चाहती थी ताकि बच्चे की जिम्मेदारी उठा सकूं।''
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रोमानिया में अंडरएज प्रेग्नेंसी का रेट यूरोप में सबसे ज्यादा। |
प्रेग्नेंसी की खबर पता चली तो रो पड़ी थी डायना
15
साल की डायना तब रो पड़ीं, जब उन्हें पता चला कि वो प्रेग्नेंट हैं। डायना
ने बताया, ''मेरी जिंदगी अचानक से बिल्कुल बदल सी गई। मैं अपने हमउम्र
बच्चों के साथ खेल भी नहीं सकती थी।'' डायना के बच्चे के पिता ने उसे छोड़
दिया था। लिहाजा वो अपने बच्चे के साथ अपनी मां के घर रह रही थी, जहां उसके
छह भाई बहन भी थे।
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दो-तिहाई टीनेजर्स मां ग्रामीण इलाकों से। |
एक साल में 18,600 टीनेजर बनीं मां
- पिछले साल जारी यूरोस्टेट के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 में रोमानिया में 15.6 फीसदी पहले बच्चों की मां टीनेजर थी।
- रोमानियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैटेस्टिक्स के मुताबिक, 2014 में 18,600 टीनेजर्स ने बच्चों को जन्म दिया।
- इनमें से दो-तिहाई महिलाएं ग्रामीण इलाकों से हैं। इनमें 2,212 की उम्र 12 से 15 साल के बीच है।
- यहां टीनेजर्स के लिए प्रेग्नेंसी एक गंभीर मेडिकल और सामाजिक परेशानी हैं।
- रोमानियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैटेस्टिक्स के मुताबिक, 2014 में 18,600 टीनेजर्स ने बच्चों को जन्म दिया।
- इनमें से दो-तिहाई महिलाएं ग्रामीण इलाकों से हैं। इनमें 2,212 की उम्र 12 से 15 साल के बीच है।
- यहां टीनेजर्स के लिए प्रेग्नेंसी एक गंभीर मेडिकल और सामाजिक परेशानी हैं।
- कई टीनेजर्स इसके चलते स्कूल छोड़ने को मजबूर हैं और डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं।
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प्रेग्नेंसी ने बदल दी लॉरेन की जिंदगी। |
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2014 में 18,600 टीनेजर्स ने बच्चों को दिया जन्म। |
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15 साल की उम्र में लॉरेन (फोटो में) बन गईं मां। |
शास्त्रों से: इन 5 लोगों के साथ नहीं जाना चाहिए मंदिर, न करें पूजा
कई लोग ऐसे होते हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और कई लोग अपने कर्मों और अपनी आदतों से नकारात्मक ऊर्जा देते हैं। कहा जाता है, मंदिर जाते समय या भगवान के दर्शन बिल्कुल शांत मन से करना चाहिए। विचलित मन से की गई पूजा का फल नहीं मिलता है। इसलिए, धर्म ग्रंथों में श्रीरामकृष्ण परमहंस ने ऐसे 5 लोगों के बारे में बताया है, जो नकारात्मक ऊर्जो देने वाले होते हैं और ऐसे लोगों से देव पूजा या आराधना के समय दूर ही रहना चाहिए।
यह शिवलिंग दिन में 3 बार बदलता है अपना रंग, आज भी है रहस्य
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अचलेश्वर महादेव |
राजस्थान का धौलपुर जिले में एक चमत्कारिक शिवलिंग है। यह शिवलिंग और इससे जुड़ा चमत्कार न की सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ है।
धौलपुर
जिले में राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थापित अचलेश्वर शिवलिंग
अपने आप में बहुत खास है क्योंकि यह शिवलिंग न की सिर्फ दिन में तीन बार
रंग बदलता है बल्कि इसका कोई अंत भी नहीं है। कई लोगों ने जमीन के कई
कि.मी. नीचे तक खुदाई करके इस शिवलिंग का अंत ढ़ूढ़ने की कोशिश की, लेकिन
आज तक कोई सफल नहीं हो पाया।
किस समय रहता है शिवलिंग का कौन सा रंग-
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अचलेश्वर महादेव |
सुबह
के समय इसका रंग लाल, दोपहर को केसरिया और रात को काला हो जाता है। इस
शिवलिंग के रंग बदलने के पीछे बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं। वैज्ञानिकों ने
भी इस शिवलिंग के रंग बदलने के रहस्य का पता लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन
विज्ञान भी यहां होने वाले चमत्कार के आगे हार गया। रोज दिन में 3 बार
होने वाले चमत्कार को देखने के लिए यहां हर समय भक्तों क भीड़ लगी रहती है।
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मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति |
गंधमादन
पर्वत पर एक मंदिर भी बना हुआ है, जिसमें भगवान हनुमान के साथ ही भगवान राम
आदि की भी मूर्तियां हैं। कहते हैं इसी पर्वत पर भगवान श्रीराम अपनी वानर
सेना के साथ बैठ कर युद्ध के लिए योजना बनाया करते थे। कई लोगों का कहना
है कि इस पर्वत पर भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं।
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अचलेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह का दृष्य |
दर्शन करने से जरूर पूरी होती है शादी की मन्नत-
ऐसा
माना जाता है कि जो भी कुंवारा या कुंवारी यहां शादी से पहले मन्नत मांगने
आते हैं, उनकी मुराद जरूर पूरी होती है। शिवजी की कृपा से लड़कियों को
मनचाहा वर मिलता है। शिवलिंग की मान्यता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
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अचलेश्वर महादेव |
कितना पुराना है यह शिवलिंग-
स्थानीय
लोगों के अनुसार, यह चमत्कारिक शिवलिंग लगभग एक हजार साल पुराना है। यह
शिवलिंग यहां कैसे आया, इसकी स्थापना के पीछे की कहानी अभी भी रहस्य बनी
हुई है। दिन पर दिन लोगों के बीच इस शिवलिंग को लेकर जिज्ञासा और आस्था
बढ़ती जा रही है।
आज भी जीवित हैं हनुमानजी, रहते हैं इस पहाड़ पर
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गंधमादन पर्वत का एक दृष्य |
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि 8 ऐसे लोग हैं जिन्हें चिरंजीवी यानी अमर होने का वरदान है। इनमें एक भगवान हनुमान भी हैं। भगवान राम और सीता से वरदान पाने के कारण हनुमान अमर हो गए। मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत से उत्तर दिशा की ओर एक खास जगह है, जहां भगवान हनुमान आज भी निवास करते हैं। भगवान हनुमान के निवास स्थल का वर्णन कई ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है।
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हनुमान और भीम की प्रतिकात्मक तस्वीर |
पुराणों
के अनुसार, कलियुग में हनुमान गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। एक कथा के
अनुसार, अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास
पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में
पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का
घमंड चूर कर दिया था।
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गंधमादन पर्वत का एक दृष्य |
गंधमादन पर्वत क्षेत्र और वन-
शास्त्रों में
बताया गया है कि गंधमादन पर्वत कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है। इस
पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तपस्या की थी। इस पर्वत पर गंधर्व, किन्नरों,
अप्सराओं और सिद्ध ऋषियों का निवास है। इस पर्वत के शिखर पर किसी वाहन से
पहुंचना असंभव माना जाता है।
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गंधमादन पर्वत का एक दृष्य |
वर्तमान में कहां है गंधमादन पर्वत-
गंधमादन
पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत से उत्तर दिशा की ओर है। यह पर्वत कुबेर के
राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में गजदंत पर्वतों में
से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के
इलाके में है।
इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के पास भी स्थित है, जहां से हनुमानजी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी।
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गंधमादन पर्वत पर बना मंदिर |
गंधमादन पर्वत पर बना मंदिर
गंधमादन
पर्वत पर एक मंदिर भी बना हुआ है, जिसमें भगवान हनुमान के साथ ही भगवान राम
आदि की भी मूर्तियां हैं। कहते हैं इसी पर्वत पर भगवान श्रीराम अपनी वानर
सेना के साथ बैठ कर युद्ध के लिए योजना बनाया करते थे। कई लोगों का कहना
है कि इस पर्वत पर भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं।
Wednesday, 27 April 2016
Ex Boyfriend ने कहा- थप्पड़ मारती थीं कंगना, अध्ययन ने किए और खुलासे
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शेखर सुमन के बेटे अध्ययन ने दावा किया है, ''कंगना मुझे थप्पड़ मारती थीं |
मुंबई. कंगना को लेकर बयानबाजी कम होती नहीं दिख रही है। ऋतिक के बाद कंगना के एक्स-ब्वॉयफ्रेंड ने कई खुलासे किए हैं। शेखर सुमन के बेटे अध्ययन ने दावा किया है, ''कंगना मुझे थप्पड़ मारती थीं, पीटती थीं, जलील करती थीं, गंदी गालियां देती थीं और काला जादू करती थी।” बता दें कि ‘राज-2’ में कंगना रनौट के साथ अध्ययन काम कर चुके हैं। दोनों का अफेयर चला लेकिन एक साल में ब्रेकअप हुआ। इसके बाद वो देश के बाहर चले गए और कुछ वक्त पहले ही लौटे हैं। अध्ययन ने कहा- मैं ऋतिक के साथ हूं...
- कंगना-ऋतिक मामले में dainikbhaskar.com ने अध्ययन से खास बातचीत की। इस इंटरव्यू में उन्होंने ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
- ''मैं ऋतिक के साथ हूं। उनके साथ जो हो रहा है, उसे अच्छी तरह समझता
हूं। इस दर्द से मैं भी गुजरा हूं। उन्हें इमोशनली टॉर्चर किया जा रहा है।
लोगों को सच पता चलना चाहिए।''
- ''मेरा मकसद कंगना के करियर या स्टारडम को नुकसान पहुंचाना नहीं है
लेकिन वो किसी और को निशाना बनाकर मासूम नहीं बन सकती। और लोग भी हैं
जिन्होंने लंबे समय इमोशनल ट्रेजेडी सही है, उनके करियर पर असर पड़ा।
क्योंकि कंगना ने गलत बातें फैलाईं। उसके बारे में ये मेरा आखिरी इंटरव्यू
है।''
काला जादू करती थीं कंगना
- अध्ययन ने कहा-'' कंगना मुझे एक ज्योतिष पल्लवी के पास ले गईं। उसने कहा मेरा वक्त अच्छा नहीं है, पूजा करनी होगी।''
- ''मुझे भरोसा न था, पर कंगना ने जोर दिया। एक रात उसने मुझे घर बुलाया, पूजा के लिए। 12 बजे पूजा शुरू हुई।''
- ''कंगना के अपार्टमेंट में एक गेस्ट रूम था, जिसे पूरा काले कपड़ों
से ढका गया था। भगवान की मूर्तियां रखी थीं। डरावना सा था। उसने मुझे कुछ
मंत्र पढ़ने को कहे और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। मैं डर गया।
- ''मैंने कुछ नहीं किया। थोड़ी देर बाद बाहर आकर मैंने झूठ बोला कि
मैंने मंत्र पढ़े। एक दिन पल्लवी ने बोला रात 12 बजे शमशान घाट जाओ और कुछ
चीजें फेंक आओ। मैं कांप गया और नहीं गया।''
आप काले जादू की बात कर रहे हैं?
- अध्ययन ने कहा-'' हां। मैं एक महानगर में पला लड़का था जो लंदन, न्यूयॉर्क से पढ़कर आया था। मैं ज्योतिषी, काले जादू से हमेशा दूर रहा।''
- अध्ययन ने कहा-'' हां। मैं एक महानगर में पला लड़का था जो लंदन, न्यूयॉर्क से पढ़कर आया था। मैं ज्योतिषी, काले जादू से हमेशा दूर रहा।''
- ''जब मैं अपने टैरो रीडर के पास गया तो उसने मुझसे कहा कि उसे पहाड़ी
इलाके के किसी काले जादू का असर मुझ पर लग रहा है। मैं तब एक ही को जानता
था, मेरी गर्लफ्रेंड कंगना, जो हिमाचल प्रदेश की है।''
- ''वह अक्सर वहां कुछ पूजा करवाने जाती थी। टैरो रीडर ने चेतावनी दी
कि कुछ बहुत बुरा होने वाला है। कि मैं इस रिश्ते से बाहर आऊं।''
इन सबके बाद क्या हुआ?
अध्ययन ने कहा,'' मेरी मां ने हमारे फैमिली पंडित को बुलाया। उन्होंने सीधे पूछा- खाना बनाती है तुम्हारे लिए?’''
- ''मैंने हां कहा तो बोले-अपना अशुद्ध खून मिलाती है खाने में जादू
के लिए। मैंने बात नहीं सुनी। हमारे रिश्ते में वॉयलेंस बढ़ती गई। मैं डर
गया था। मैं हर रात अपने पीआर को फोन करके रोता था।''
- ''स्कॉच की बोतल लेकर मरीन ड्राइव पर निकल जाता। उस स्टेज पर पहुंच
गया था कि ज्यादा पीने से मर सकता था। मां ने मेरे लिए बहुत प्रार्थना की।
वही पंडित सलमान के ‘दस का दम’ पर पहुंचे और उन्होंने शो के बीच कंगना से
कहा, ‘आप पिशाचिनी हो।’ कंगना ने इसे मजाक में लिया।''
पहला झटका आपको कब लगा?
- ''काइट्स का शूट चल रहा था। वो ऋतिक और उनकी पत्नी के साथ बहुत
फ्रेंडली हो रही थी। ऋतिक ने कंगना को बर्थ-डे पर बुलाया। मुझे भी फोन
किया। मैंने फूल और महंगी शैम्पेन खरीदी।''
- ''पार्टी में हम बैठे थे कि ऋतिक आए। कंगना तुरंत उठी और फूल-शैम्पेन देकर कहा, ‘हैप्पी बर्थडे, ये मेरी तरफ से।’ये हैं एमबीए पास 29 साल के श्रेय, 15 दिन में बने किसान और किया कमाल
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एमबीए पास कर किसान बने श्रेय हूमड़। |
खंडवा/इंदाैर। एमबीए के बाद इस युवा की व्यवसायी बनने की ख्वाहिश थी। लेकिन पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने के बाद उसे लगा कि हर सेक्टर में मंदी है, लेकिन कृषि में नहीं। इसी सोच ने उसे तमिलनाडु पहुंचा दिया। यहां टैरेस गार्डन और पॉली हाउस में फसलों का उत्पादन लेना सीखा। 15 दिन बाद खंडवा लौटा और सिहाड़ा रोड पर आधे एकड़ में पॉली हाउस और आधे में नेट हाउस खोल दिया। ये कहानी है 29 साल के युवक किसान श्रेय हूमड़ की। श्रेय ने पहले ही प्रयास में 14 टन ककड़ी का उत्पादन किया है। पढ़ें, श्रेय की सक्सेस स्टोरी...
- श्रेय ने बताया कि 2010-11 में इंदौर से एमबीए करने के बाद खंडवा में पिता का बिजनेस संभाला।
- इस दौरान देखा कि ऑटोमोबाइल से लेकर अन्य सेक्टरों में मंदी का दौर आया। लेकिन कृषि में आज तक कभी ऐसा नहीं आया।
- मैंने केलकुलेशन किया कि आने वाले दौर में फूड में अच्छा स्कोप है। मैं तमिलनाडु के मदुराई व अन्य शहरों में गया।
- यहां टैरेस गार्डन और पॉली हाउस देखे। आइडिया अच्छा लगा। खंडवा लौटकर इसके बारे में तीन महीने तक रिसर्च किया।
- इसके बाद लीज पर एक एकड़ जमीन ली। शासन की योजना का लाभ लिया। आधे एकड़ में पॉली हाउस और आधे में नेट हाउस खोल दिया।
- पॉली हाउस से श्रेय ने 40 दिन में 14 टन ककड़ी का उत्पादन लिया। उन्होंने कहा मार्केट में दूसरों की ककड़ी 10 से 12 रुपए किलो थोक में बिकती है।
- हमारी 18 से 20 रुपए तक बिक जाती है। इसी तरह श्रेय ने टमाटर, मैथी, लौकी व धनिया सहित अन्य सब्जियां भी ली हैं। उन्हें इनके दाम भी अच्छे मिले।
- श्रेय ने बताया कि इसके बीज उन्होंने पुणे से मंगवाए हैं, इसमें अंदर बीज नहीं निकलते हैं। जब ये पकने के कगार पर आ जाती है जब बीज बनते हैं।
- श्रेय ने कहा मेरे परिवार में कोई भी किसान नहीं है। मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं किसान बनूंगा। लेकिन इस क्षेत्र में अच्छा स्कोप है।
पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन ज्यादा
श्रेय ने बताया कि परंपरागत खेती के मुकाबले पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन भी ज्यादा और उन्नत क्वालिटी का होता है। पॉली हाउस में जो भी सब्जियां लगाई जाती हैं, उसे किसान जितना भी खाद, पानी और ऑक्सीजन देगा, उतना ही फसलों को मिलेगा। इसमें बारिश का पानी भी अंदर नहीं जा सकता। नेट हाउस में भी प्रकाश और बारिश का पानी आधा अंदर आता है और आधा बाहर जाता है। यह गर्मी और ठंड में फसलों के लिए अच्छा होता है, जबकि पॉली हाउस सभी सीजन में फसलों के लिए फायदेमंद होता है।
व्यवसायी की तरह सोचना होगा किसानों को- इस दौरान देखा कि ऑटोमोबाइल से लेकर अन्य सेक्टरों में मंदी का दौर आया। लेकिन कृषि में आज तक कभी ऐसा नहीं आया।
- मैंने केलकुलेशन किया कि आने वाले दौर में फूड में अच्छा स्कोप है। मैं तमिलनाडु के मदुराई व अन्य शहरों में गया।
- यहां टैरेस गार्डन और पॉली हाउस देखे। आइडिया अच्छा लगा। खंडवा लौटकर इसके बारे में तीन महीने तक रिसर्च किया।
- इसके बाद लीज पर एक एकड़ जमीन ली। शासन की योजना का लाभ लिया। आधे एकड़ में पॉली हाउस और आधे में नेट हाउस खोल दिया।
- पॉली हाउस से श्रेय ने 40 दिन में 14 टन ककड़ी का उत्पादन लिया। उन्होंने कहा मार्केट में दूसरों की ककड़ी 10 से 12 रुपए किलो थोक में बिकती है।
- हमारी 18 से 20 रुपए तक बिक जाती है। इसी तरह श्रेय ने टमाटर, मैथी, लौकी व धनिया सहित अन्य सब्जियां भी ली हैं। उन्हें इनके दाम भी अच्छे मिले।
- श्रेय ने बताया कि इसके बीज उन्होंने पुणे से मंगवाए हैं, इसमें अंदर बीज नहीं निकलते हैं। जब ये पकने के कगार पर आ जाती है जब बीज बनते हैं।
- श्रेय ने कहा मेरे परिवार में कोई भी किसान नहीं है। मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं किसान बनूंगा। लेकिन इस क्षेत्र में अच्छा स्कोप है।
पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन ज्यादा
श्रेय ने बताया कि परंपरागत खेती के मुकाबले पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन भी ज्यादा और उन्नत क्वालिटी का होता है। पॉली हाउस में जो भी सब्जियां लगाई जाती हैं, उसे किसान जितना भी खाद, पानी और ऑक्सीजन देगा, उतना ही फसलों को मिलेगा। इसमें बारिश का पानी भी अंदर नहीं जा सकता। नेट हाउस में भी प्रकाश और बारिश का पानी आधा अंदर आता है और आधा बाहर जाता है। यह गर्मी और ठंड में फसलों के लिए अच्छा होता है, जबकि पॉली हाउस सभी सीजन में फसलों के लिए फायदेमंद होता है।
सूखे और बेमौसम बारिश की मार झेल रहे किसान संकट के दौर से गुजर रहे हैं। कई किसान मौत को भी गले लगा चुके हैं। वहीं श्रेय का मानना है कि किसान इस संकट से बच सकता है। किसानों को व्यवसायी की दृष्टि से सोचना होगा। उसे एक बार में एक के बजाय तीन-चार फसलें लेना होगी। श्रेय कहते हैं वर्तमान में किसान जिस भी खाद्य वस्तु के दाम बढ़ते हैं, उसे बड़ी मात्रा में बो देते हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर उत्पादन ज्यादा होता है और मांग कम हो जाती है। दाम कम मिलते हैं फिर वह रोता है।
यहां जिसको पड़ा डंडा उसकी हो जाती है शादी, यूं सज कर निकली महिलाएं
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सोमवार की रात मेले में ये नजारा आम था। |
जोधपुर (राजस्थान). सूर्यनगरी (जोधपुर) में सोमवार रात बेंतमार मेला देखने लोग उमड़ पड़े। इस मौके पर तीजणियों ने अलग-अलग सोलह स्थानों पर दुल्हन के कपड़ों में माता की पूजा कर अखंड सुहाग की कामना भी की। देररात तक सड़कों पर घूमती हैं लड़कियां...
- इसके बाद तीजणियां स्वांग रच सड़कों पर निकल पड़ी। जिसमें वे अलग-अलग रूप में सड़कों पर दिखीं।
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उन्होंने मेला देखने पहुंचे युवकों पर खूब बेंत बरसाए। मान्यता है कि
तीजणियों के हाथों बेंत खाने से कुंवारों की शादी जल्दी हो जाती है।
- इसके चलते मेले में बड़ी संख्या में युवा पहुंचे। बेंत मारने का यह सिलसिला आधी रात बाद तक चलता रहा।
शहर भर में रहा महिलाओं का राज
- शहर की सड़कों पर कोई तीजणी भगवान तो कोई राक्षस के रूप में थी। तो कहीं किसी ने डॉक्टर तो कोई नर्स बन कर साथ चल रही थी।
- पुलिस के सामने कोई तीजणी पुलिस का भेष पहन कर रौब दिखा रही थी।
- देर रात तक महिलाएं व युवतियां विभिन्न तरह के स्वांग रच कर बेरोकटोक भीतरी शहर की सड़कों पर घूम रही थीं।
- कोई मनचला मिला तो पूरे ग्रुप ने बेंत बरसाते हुए हाथ साफ किए।
जल-जीवन बचाने का संदेश
तीजणियों ने मेले में पानी बचाने का संदेश दिया। साथ ही हेलमेट पहन बाइक चलाने का आह्वान किया। वे खुद भी बाइक पर हेलमेट पहन निकलींBlog Archive
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