LATEST:11:49am एक मौके ने रातोंरात बदली गांव की लड़की की LIFE, बनी सुपरहिट एक्ट्रेस

Tuesday, 12 April 2016

MYTH: यहां रात रुकने वाले की हो जाती है मृत्यु, दो चिरंजीवी रोज करते हैं दर्शन


मैहर मंदिर माता
मैहर मंदिर माता

सतना जिले की मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर बने माता के इस मंदिर को मैहर देवी का मंदिर कहा जाता है। मैहर का मतलब है मां का हार। मैहर नगरी से 5 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा देवी का वास है। पर्वत की चोटी के मध्य में ही शारदा माता का मंदिर है।
इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। इस मंदिर को रोज रात में बंद कर दिया जाता है, मान्यता है कि इस मंदिर में हर रात आल्हा और उदल नाम के दो चिरंजीवी दर्शन करने आते हैं और उस दौरान अगर कोई मनुष्य मंदिर में रुकने की कोशिश करता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है।
मंदिर में स्थापित शारदा देवी की मूर्ति 
मंदिर में स्थापित शारदा देवी की मूर्ति 

हजारों सालों से रोज यहां दर्शन करने आ रहे हैं आल्हा और उदल

क्षेत्रीय लोगों के अनुसार आल्हा और उदल जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था, वे भी शारदा माता के बड़े भक्त थें। इन दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करता था। तभी से ये मंदिर भी माता शारदा माई के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आज भी यही मान्यता है कि माता शारदा के दर्शन हर दिन सबसे पहले आल्हा और उदल ही करते हैं। मंदिर के पीछे पहाड़ों के नीचे एक तालाब है,जिसे आल्हा तालाब कहा जाता है। यही नहीं, तालाब से 2 किलोमीटर और आगे जाने पर एक अखाड़ा मिलता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां आल्हा और उदल कुश्ती लड़ा करते थे।
त्रिकूट पर्वत
त्रिकूट पर्वत 
 रात में मंदिर कर दिया जाता है बंद
मां शारदा के मंदिर को रात में बंद कर दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि इसी समय वे दोनों भाई मां के दर्शन करने आते हैं। दोनों भाई मां की पूजन के साथ ही उनका शृंगार भी करते हैं। इसलिए रात के समय यहां कोई नहीं ठहरता। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जो हठपूर्वक यहां रुकने की कोशिश करता है, उसकी मृत्यु हो सकती है।
मंदिर में स्थापित शारदा देवी की मूर्ति 
मंदिर में स्थापित शारदा देवी की मूर्ति
 पूरे भारत का एकमात्र मंदिर
पूरे भारत में सतना का मैहर मंदिर माता शारदा का अकेला मंदिर है। इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही काल भैरवी, भगवान हनुमान, देवी काली, देवी दुर्गा, गौरी-शंकर, शेष नाग, फूलमती माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी पूजा की जाती है।
 मैहर मंदिर माता
मैहर मंदिर माता
 चार भागों में बंटी है यहां की चढ़ाई
त्रिकूट पर्वत पर मैहर देवी का मंदिर भू-तल से छह सौ फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर तक जाने वाले मार्ग में 300 फीट तक की यात्रा गाड़ी से भी की जा सकती है। मैहर देवी मां शारदा तक पहुंचने की यात्रा को चार भागों में बांटी गई है। प्रथम भाग की यात्रा में चार सौ अस्सी सीढ़ियों को पार करना होता है। दूसरे भाग 228 सीढ़ियों का है। इस यात्रा खंड में पानी व अन्य पेय पदार्थों की व्यवस्था होती है। यहां पर आदिश्वरी माई का प्राचीन मंदिर है। यात्रा के तीसरे भाग में 147 सीढ़ियां हैं। चौथे और आखिरी भाग में 196 सीढ़ियां पार करनी होती हैं। तब मां शारदा का मंदिर आता है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे


हवाई मार्ग- सतना स160 कि.मी. की दूरी पर जबलपुर और 140 कि.मी. की दूरी पर खजुराहो एयरपोर्ट है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर सड़क मार्ग से सतना पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- मैहर जिले के लिए देश के कई शहरों से रेल गाड़ियां चलती है।
सड़क मार्ग- मैहर जिला देश के कई शहरों के सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इसलिए यहां बस या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।

Related Articles

0 comments:

Post a Comment

Blog Archive

Powered by Blogger.